History, asked by malishobha1, 8 months ago

झाड बसते ध्यानस्थ ऋषिसारखं मौन व्रत
धारण करून तपश्चर्या करत...​

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Answered by jjaajjajaja36
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मौन व्रत भारतीय संस्कृति में सत्य व्रत, सदाचार व्रत, संयम व्रत, अस्तेय व्रत, एकादशी व्रत व प्रदोष व्रत आदि बहुत से व्रत हैं, परंतु मौनव्रत अपने आप में एक अनूठा व्रत है। इस व्रत का प्रभाव दीर्घगामी होता है। इस व्रत का पालन समयानुसार किसी भी दिन, तिथि व क्षण से किया जा सकता है। अपनी इच्छाओं व समय की मर्यादाओं के अंदर व उनसे बंधकर किया जा सकता है। योगशास्त्र कहता है कि जो मनुष्य शरीर रूपी पिंड को बराबर जानता है उस मनुष्य को समष्टी रूप ब्रह्माण्ड जानना कुछ मुश्किल नहीं।

शरीर में चार वाणी हैं। जैसे कि- परावाणी नाभि (टुन्डी) में, पश्यन्तिवाणी छाती में, मध्यमावाणी कण्ठ (गले में) और वैखरी वाणी मुंह में है। शब्द की उत्पत्ति परावाणी में होती हैं परन्तु जब शब्द स्थूल रूप धारण करता है, तब मुंह में रही हुई वैखरी वाणी द्वारा बाहर निकलता है।

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