“झाडू के पुर्जे उड़ गए।" - इस कथन का क्या आशय है?
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अब दिक्क्त यहाँ ये हो गई कि झाडू़ केवल एक ही थी और तनख्वाह लेनेवाले उम्मीदवार बहुत, इसलिए छीना-झपटी में क्षण-भर में ही झाडू़ के पुर्जे-पुर्जे उड़ गए। अर्थात झाड़ू के टुकड़े-टुकड़े हो गए। जितनी सींके जिसके हाथ पड़ीं, वह उनसे ही उलटे-सीधे हाथ मारने लगा।
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