झूम काश्तकारों को स्थाई रूप से बसाने की अंग्रेजों की कोशिश क्यों सफल नहीं हुई थी
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) घुमंतू काश्तकार खेती करने के लिए यहाँ-वहाँ भटकते रहते थे। वे एक जगह ठहर कर नहीं रहते थे। अंग्रेज़ चाहते थे कि वे एक जगह ठहर कर खेती करें। इसके लिए अंग्रेज़ों ने नए कानून बनाए जिन्हें घुमंतू काश्तकारों ने पसंद नहीं किया।
(2) अंग्रेज़ अपने शासन के लिए आमदनी का नियमित स्रोत भी चाहते थे। परिणामस्वरूप उन्होंने ज़मीन के बारे में कुछ नियम लागू कर दिए। उन्होंने ज़मीन को मापकर प्रत्येक व्यक्ति का भाग तय कर दिया। उन्होंने यह भी तय कर दिया कि किसे कितना लगान देना होगा।
(3) अंग्रेज़ों ने कुछ घुमंतू किसानों को पट्टेदार और कुछ को भू-स्वामी घोषित कर दिया। पट्टेदार अपने भू-स्वामियों को भाड़ा चुकाते थे और भू-स्वामी सरकार को लगान देते थे। झूम काश्तकारों को स्थायी रूप से बसाने के अंग्रेज़ों के प्रयत्न बहुत सफल नहीं रहे। जहाँ पानी थोड़ी मात्रा में हो तथा मिट्टी सूखी हो, वहाँ हलों से खेती करना सरल नहीं होता, बल्कि हलों द्वारा खेती करने वाले झूम काश्तकारों को हमेशा नुकसान ही हुआ क्योंकि उनके खेत अच्छी उपज नहीं दे पाते थे। इसलिए, पूर्वोत्तर राज्यों के झूम काश्तकार इस बात पर अड़े रहे कि उन्हें परंपरागत तरीके से ही जीने दिया जाए। उनके अत्यधिक विरोध के कारण अंग्रेज़ों को उनकी बात माननी पड़ी और ऐसे कबीलों को जंगल के कुछ भागों में घुमंतू खेती की छूट दे दी गई।
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