Art, asked by amarmahajan144, 6 months ago

झोपडी व महाल संवाद लेखन​

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Answered by singhrajesh06737
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सेठ है , शोषक है , नामी गलाकाटू है ,

गालियाँ भी सुनता है , भारी थूकचाटू है |

चोर है , डाकू है , झूठा – मक्कार है ,

क़ातिल है , छलिया है , लुच्चा और लभार है |

जैसे भी टिकट मिला , जहाँ भी टिकट मिला ,

शासन के घोड़े पर वही सवार है |

उसी की जनवरी , उसी का अगस्त है ,

बाक़ी सब दुखी है , बाक़ी सब मस्त है |

गुंडों की है चौकड़ी , गुंडा ही मस्त है ,

उन्हीं की है जनवरी , उन्हीं का अगस्त है |

महल आबाद है , झोपड़ी उजाड़ है ,

गरीब की बस्ती में उखाड़ है , पछाड़ है |

मंत्री ही सुखी और मंत्री ही मस्त है ,

उसी की जनवरी , उसी का अगस्त है |

– महान कवि बाबा नागार्जुन

[ वैद्यनाथ मिश्र ]

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