"झोपड़े के द्वार पर बाप और बेटा दोनों एक बुझे
हुए अलाव के सामने चुपचाप बैठे हुए थे और
अन्दर बेटे की जवान बीबी बुधिया प्रसव-वेदना
से पछाड़ खा रही थी। रह रहकर उसके मुंह से
ऐसी दिल हिला देने वाली आवाज निकलती थी
कि दोनों कलेजा थाम लेते थे।"
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sandarbh, prasang, vyakhya
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