झूरी प्रात:काल सोकर उठा, तो देखा कि दोनों बैल चरनी पर खड़े हैं। दोनों गरदनों में आधा-आधा गराँव लटक रहा है। घुटने तक पाँव कीचड़ से भरे हैं । दोनों की आँखों में विद्रोहमय स्नेह झलक रहा है।
झूरी बैलों को देखकर स्नेह से गद्गद हो गया। दौड़कर उन्हें गले लगा लिर प्रेमालिंगन और चुंबन का वह दृश्य बड़ा ही मनोहर था।
घर और गाँव के लड़के जमा हो गए और तालियाँ बजा बजाकर उनका स्वार करने लगे। गाँव के इतिहास में यह घटना अभूतपूर्व न होने पर भी महत्वपूर्ण छ
बाल-सभा ने निश्चय किया, दोनों पशु-वीरों को अभिनंदन-पत्र देना चाहिए। koi अपने घर से रोटियाँ लाया, कोई गुड़, कोई चोकर, कोई भूसी।
क - हीरा - मोती की आखों में विद्रोह और स्नेह का मिला - जुला भाव क्यों झलक रहा था । ख - ghuri ने प्रातःकाल क्या देखा ?तथा उस पर क्या प्रतिकिया प्रकट की? ग - बाल सभा ने क्या निश्चय किया तथा उनके लिए क्या किया?
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jhuri pratah kaal so kar utha to dekha ki donon baail Charni per Khade Hain donon gardan mein aadha aadha groun latak raha hai ghutne Tak paon keechad se bhare Hain donon ki aankhon mein vidroh mein snahe chalak raha hai
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