Geography, asked by sumankumar44696, 9 months ago

झारखंड में मुर्दा प्रदान की समस्या का उल्लेख करें​

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Answered by atikshghuge
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झारखंड राज्य कृषि क्षेत्र में काफी पिछड़ा हुआ है। इस राज्य को खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बनाने हेतु वर्तमान उपज को बढ़ाकर दोगुना करना होगा। इसके लिये मृदा स्वास्थ्य की स्थिति एवं उनकी समस्याओं का जानकारी होना अतिआवश्यक है ताकि, प्रदेश के किसान कम लागत में अच्छी उपज प्राप्त कर सके।

झारखंड प्रदेश में लगभग 10 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि, अम्लीय भूमि (पी.एच. 5.5 से कम) के अन्तर्गत आती है। यदि हम विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्र में पड़ने वाली जिलों में अम्लीय भूमि की स्थिति को देखें तो उत्तरी पूर्वी पठारी जोन (जोन IV) के अन्तर्गत जामताड़ा, धनबाद, बोकारो, गिरीडीह, हजारीबाग एवं राँची के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 50 प्रतिशत से अधिक भूमि अम्लीय समस्या से ग्रसित है। इसी तरह पश्चिमी पठारी जोन (जोन V) में सिमडेगा, गुमला एवं लोहरदगा में 69-72 प्रतिशत तक अम्लीय भूमि की समस्या है, जबकि पलामू, गढ़वा एवं लातेहार में अम्लीय भूमि का क्षेत्रफल 16 प्रतिशत से कम है दक्षिण-पूर्वी जोन (जोन VI) में अम्लीय भूमि की समस्या सबसे ज्यादा है। इस क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले तीनों जिलों-सरायकेला, पूर्वी एवं पश्चिम सिंहभूम में अम्लीय भूमि का क्षेत्रफल 70 प्रतिशत के करीब है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि झारखंड प्रदेश में अम्लियता प्रमुख समस्या है।

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