Hindi, asked by sapnac201081, 4 months ago

(झ) संकेतों और अस्पष्ट ध्वनियों को भाषा नहीं माना जा सकता क्योंकि इनमें भाषा की तरह
होती।​

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Answered by bollywoodmusic70
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Explanation:

संकेत भाषा (या सांकेतिक भाषा) एक ऐसी भाषा है, जो अर्थ सूचित करने के लिए श्रवणीय ध्वनि पैटर्न में संप्रेषित करने के बजाय, दृश्य रूप में सांकेतिक पैटर्न (हस्तचालित संप्रेषण, अंग-संकेत) संचारित करती है-जिसमें वक्ता के विचारों को धाराप्रवाह रूप से व्यक्त करने के लिए, हाथ के आकार, विन्यास और संचालन, बांहों या शरीर तथा चेहरे के हाव-भावों का एक साथ उपयोग किया जाता है।

जहां भी बधिर लोगों का समुदाय मौजूद हो, वहां संकेत भाषा का विकास होता है। उनके पेचीदा स्थानिक व्याकरण, उच्चरित भाषाओं के व्याकरण से स्पष्ट रूप से अलग है।[1][2] दुनिया भर में सैकड़ों संकेत भाषाएं प्रचलन में हैं और स्थानीय बधिर समूहों द्वारा इनका उपयोग किया जा रहा है। कुछ संकेत भाषाओं ने एक प्रकार की क़ानूनी मान्यता हासिल की है, जबकि अन्य का कोई महत्व नहीं है।

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