झूठ के बराबर क्या नहीं है ?
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झूठ बोलने का मज़ा तो यह है, होशियारी तो इसमें है कि झूठ बोलो, मगर झूठ न दिखाई दे। “झूठ बराबर तप नहीं,सांच बराबर पाप । जाके हिरदे झूठ है, ताके हिरदै आप ॥” ... झूठ बोलने का बड़ा माहात्म्य है।..
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Answer:
झूठ बोलने का मज़ा तो यह है, होशियारी तो इसमें है कि झूठ बोलो, मगर झूठ न दिखाई दे। “झूठ बराबर तप नहीं,सांच बराबर पाप । जाके हिरदे झूठ है, ताके हिरदै आप ॥” ... झूठ बोलने का बड़ा माहात्म्य है।
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