झूठा मीठे वचन कहि, ऋण उधार ले जाय ।
लेत परम सुख ऊपजै, लैके दियो न जाय ।।
लैके दियो न जाय, ऊँच अरु नीच बतावै।
ऋण उधार की रीति, माँगते मारन धावै ।।
कह गिरिघर कविराय, जानि रहै मन में रूठा।
बहुत दिना हो जाय, कहै तेरो कागज झूठा ।।
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इसका उतर 9वी ककशा में हिन्दी की पाठ पुस्तक में मिलेंगे
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