झूठी देखी प्रीत
जगत में झूठी देखी प्रीत।
अपने ही सुखसों सब लागे, क्या दारा क्या मीत॥
मेरो मेरो सभी कहत हैं, हित सों बाध्यौ चीत।
अंतकाल संगी नहिं कोऊ, यह अचरज की रीत॥
मन मूरक अजहूँ नहिं समझत, सिख दै हास्यो नीत।
नानक भव-जल-पार परै जो गावै प्रभु के गीत।
-गर
guru nanak ne kis riti ka aasay espast kiya hai
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गुरु नानक ने परिवार और प्यार पर निबंध स्पष्ट किया है
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