jhagade jhanjhat se Vakya banaen
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"दूध आने लगा, रोज-रोज की झंझट से मुक्ति मिली।"
- झंझट शब्द का उपयोग प्रेमचंद ने अपनी कहानी कोई दुख न हो तो बकरी खरीद लो इस प्रकार किया है.
"कल का झंझट कौन रखे जोखू अब कुछ दिनों से काम में मन लगाने लगा था।"
- झंझट शब्द का उपयोग प्रेमचंद ने अपनी कहानी स्वामिनी इस प्रकार किया है.
"ऊंह ! इस झंझट की जरुरत ही क्या है।"
- झंझट शब्द का उपयोग प्रेमचंद ने अपनी कहानी दुर्गा का मन्दिर इस प्रकार किया है.
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