Hindi, asked by manisha329, 1 year ago

झम झम झम झम मेघ बरसते हैं सावन के,
छम छम छम गिरती बूंदें तरुओं से छन के।
चम चम बिजली चमक रही रे उर में घन के,
थम थम दिन के तम में सपने जगते मन के।
ऐसे पागल बादल बरसे नहीं धरा पर,
जल फुहार बौछारें धारें गिरतीं झर झर।।
आँधी हर हर करती, दल मर्मर तरु चर् चर्,
दिन रजनी औ पाख बिना तारे शशि दिनकर।
पंखों से रे, फैले फैले ताड़ों के दल,
लंबी लंबी अँगुलियाँ हैं चौड़े करतल।
तड़ तड़ पड़ती धार वारि की उन पर चंचल,
टप टप झरती कर मुख से जल बूंदें झलमल।
नाच रहे पागल हो ताली दे दे चल दल,
झूम झूम सिर नीम हिलाती सुख से विह्वल।
झरते हरसिंगार, बेला कलि बढती पल पल​

Answers

Answered by ansh4637
5

Answer:

very nice poem i loved it

Answered by harman1871
4

Answer:

awesome, fantastic. ............

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