झम मेघ बरसते है सावन के.
छम गिरती बूंदें तरुओं से छन के ।
चम बिजली चमक रही रे उर में धन के.
धम दिन के तम में सपने जगते मन के ।।
सावन के मेघ कैसे बरसते हैं?
बूंदे किस प्राकर गिरती हैं?
उ.
बिजली कहाँ और किस प्रकार चमक रही है?
वर्षा के समय मन में सपने कब जगते हैं?
प्रस्तुत पद्यांश के कवि कौन है?
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ok
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1 savan me megh chham barsate hai
2 bunde chham girti hai
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. Ok2oo3l3lrlelepepeoeop3l3k3
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