झम मेघ बरसते है सावन के.
छम गिरती बूंदें तरुओं से छन के ।
चम बिजली चमक रही रे उर में धन के.
धम दिन के तम में सपने जगते मन के
उ.
बिजली कहाँ और किस प्रकार चमक रही है?
वर्षा के समय मन में सपने कब जगते हैं?
प्रस्तुत पद्यांश के कवि कौन है?
Answers
Answered by
0
सुमित्रानंदन पंथ इस कविता के कवि हैं।
Answered by
1
कवि कहते हैं सावन के बादल झम-झम बरस रहे हैं | वर्षा की बूंदे पेड़ों से छन-छनकर बरसती है। बिजली, बादलों के ह्रदय में चम-चम चमक रही हैं ।
Similar questions