English, asked by dipak480, 2 months ago

jhansi ki rani essay 50 to 60 words​

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Answered by bathejamuskan103
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झांसी की रानी के अद्भुत साहस और पराक्रम के किस्से आज भी काफी मशहूर हैं, जिस तरह उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक वीर पुरुष की तरह अपने साहस का परिचय दिया था, वो काफी प्रशंसनीय है।

झांसी की रानी की बहादुरी के सामने अंग्रेज भी मत्था टेकते थे और उनसे बचते थे। वीरांगना लक्ष्मीबाई ने अपने जीवन में तमाम संघर्षों के बाद भी इतिहास के पन्नों पर स्वर्णिम अक्षरों में अपनी विजयगाथा लिखी और अपने राज्य की स्वतंत्रता की लड़ाई में वे वीरगति को प्राप्त हुईं एवं दुनिया के लिए अपने साहस, पराक्रम और देशभक्ति की एक अनूठी मिसाल कायम की साथ ही समस्त नारी शक्ति का हौसला बढ़ाया। उनके बारे में यह कहावत काफी लोकप्रिय है –

“बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।

खूब लड़ी मरदानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।”

वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई का प्रारंभिक जीवन बचपन एवं शिक्षा – Rani Laxmi Bai Information in Hindi

आत्मविश्वासी और साहसी वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई 19 नवंबर, साल 1828 को उत्तरप्रदेश के वाराणसी के भदैनी नगर में जन्मी थी। इनके बचपन का नाम मणिकर्णिका तांबे था, जिनके नाम पर हाल ही एक फिल्म “मणिकर्णिका” भी रिलीज हुई थी, जिसमें अभिनेत्री कंगना रनौत ने झांसी की रानी का किरदार निभाया था।

हालांकि, रानी लक्ष्मीबाई को मर्णिकार्णिका नहीं बल्कि मनु बाई के नाम से पुकारा जाता था। इनके पिता एक महाराष्ट्र के ब्राह्मण थे, जबकि माता भागीरथीबाई संस्कारी और धर्म मे विश्वास रखने वाली एक घरेलू महिला थी।

रानी लक्ष्मीबाई बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा की धनी थी, जिसे उनके पिता मोरोपन्त तांबे ने शुरुआत में ही भांप लिया था और उस दौर में जब लोग अपनी बेटियों की शिक्षा पर ज्यादा महत्व नहीं देते थे, तब उन्होंने रानी लक्ष्मीबाई को घर पर ही शिक्षा ग्रहण करवाई।

इसके साथ ही एक वीर योद्धा की तरह निशानेबाजी, घेराबंदी, युद्ध की शिक्षा, सैन्य शिक्षा, घुड़सवारी, तीरंदाजी, आत्मरक्षा आदि की भी ट्रेनिंग दिलवाई, घुड़सवारी और अस्त्र-शस्त्र चलाना मनु के बचपन में प्रिय खेल थे।

मनुबाई बेहद कम उम्र में ही शस्त्र विद्याओं में निपुण हो गई थी। बाद में एक साहसी योद्दा की तरह वे एक वीर रानी बनी और लोगों के सामने अपनी वीरता की मिसाल पेश की।

विवाह के बाद पड़़ा रानी लक्ष्मीबाई नाम:

बाल विवाह की प्रथा के अनुरुप कर्तव्य परायण और स्वाभिमानी वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई का विवाह 14 साल की छोटी सी उम्र में झांसी के महाराज गंगाधर राव नेवलेकर के साथ करवा दिया गया। विवाह के बाद उनका नाम मनुबाई से बदलकर लक्ष्मीबाई रखा गया।

रानी लक्ष्मीबाई के जीवन का सबसे दुखद समय:

रानी लक्ष्मीबाई ने अपनी शादी के कुछ दिनों बाद दामोदार राव नाम के पुत्र को जन्म दिया, जिससे उनके जीवन की खुशियां और भी ज्यादा बढ़ गईं, लेकिन दुर्भाग्यवश वो ज्यादा दिन तक जीवित नहीं रह सका, सिर्फ 4 महीने बाद ही उनके बच्चे की मौत हो गई।

जिसके बाद उनके परिवार पर संकट के बादल छा गए। वहीं रानी लक्ष्मीबाई के पति गंगाधर राव अपने पुत्र खोने का दुख नहीं सहन कर सके और उन्हें बीमारी ने घेर लिया। इसी दौरान दोनों ने रिश्तेदार का पुत्र गोद लिया, जिसका पहले नाम आनंद राव रखा, फिर बाद में नाम बदलकर दामोदर राव कर दिया।

वहीं महाराज गंगाधर राव की बीमारी ने विकराल रुप ले लिया और 21 नवंबर साल 1853 में वे दुनिय छोड़कर चले गए। यह रानी लक्ष्मीबाई के जीवन का सबसे कठिन समय था।

अपने पुत्र को खोना और फिर पति की मौत से रानी लक्ष्मीबाई काफी आहत हुईं, लेकिन इस भयावह स्थिति में भी कभी कमजोर नहीं पड़ी और उन्होंने अपने राज्य का काम-काज संभालने का फैसला दिया।

साहसी रानी लक्ष्मीबाई का संघर्ष:

रानी लक्ष्मीबाई के उत्तराधिकारी बनने पर क्रूर ब्रिटिश शासकों ने बहुत विरोध किया। दरअसल, ब्रिटिश सरकार के नियम के मुताबिक राजा की मौत के बाद अगर खुद का पुत्र हो तो उसे उत्तराधिकारी बनाया जाता है, नहीं तो उसका राज्य ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी में मिला दिया जाता था।

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