jhasi ki rani kavita me kiske jeevan ka varn kiya gaya hai
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झाँसी की रानी कविता का अर्थ: इस पद में लक्ष्मीबाई के जीवन के कठिन समय का वर्णन किया गया है, जिसमें उनके पति की असमय मृत्यु के बाद रानी अत्यंत दुखी थीं। उनके कोई संतान भी नहीं थी। वे झांसी को संभालने के लिए बिल्कुल अकेली रह गई थीं। लावारिस का वारिस बनकर ब्रिटिश राज्य झाँसी आया।
Explanation:
जीवन-परिचय–क्रान्ति की अमरसाधिका सुभद्राकुमारी चौहान का जन्म सन् 1904 ई० में इलाहाबाद जिले के निहालपुर गाँव में हुआ था। इनके पिता रामनाथ सिंह सुशिक्षित, सम्पन्न और प्रतिष्ठित व्यक्ति थे। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा क्रॉस्थवेट गर्ल्स कॉलेज में हुई और 15 वर्ष की उम्र में इनका विवाह खण्डवा (मध्य प्रदेश) के ठाकुर लक्ष्मणसिंह चौहान के साथ हुआ। इनके पति ब्रिटिश राज्य के विरुद्ध राष्ट्रीय आन्दोलनों में भाग लेते थे। सुभद्राकुमारी भी पति के साथ राजनीतिक आन्दोलनों में भाग लेती रहीं, जिसके परिणामस्वरूप ये अनेक बार जेल भी गयीं। असहयोग आन्दोलन में भाग लेने के कारण इनका अध्ययन-क्रम भंग हो गया था। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी से प्रेरित होकर ये राष्ट्र-प्रेम पर कविताएँ लिखने लगीं। हिन्दी-काव्य-जगत् में ये ही ऐसी कवयित्री थीं, जिन्होंने अपनी ओजमय कविता द्वारा लाखों (UPBoardSolutions.com) भारतीय तरुण-तरुणियों को स्वतन्त्रता-संग्राम में भाग लेने हेतु प्रेरित किया। ‘झाँसी वाली रानी थी’ तथा ‘वीरों का कैसा हो वसन्त’ कविताएँ तरुण-तरुणियों में क्रान्ति की ज्वाला फेंकती रहीं। इन्हें पं० माखनलाल चतुर्वेदी से भी पर्याप्त प्रोत्साहन मिला, परिणामस्वरूप इनकी देशभक्ति का रंग और भी गहराता गया। आप मध्य प्रदेश विधानसभा की सदस्या भी रहीं। सन् 1948 ई० में हुई एक वाहन-दुर्घटना में नियति ने एक प्रतिभाशाली कवयित्री को हिन्दी-साहित्य जगत् से असमय ही छीन लिया। ।