Jhoote phate Hue jinmese jhank Rahi gaon ki Aatma Kavita ki is pankti ka bhav spasht kijiye
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- मंगते से माँगना जैसे बुढ़िया से सगाई. भिखारी से भीख माँगना और बूढ़ी औरत से विवाह करना एक समान हैं.
- मंगनी के बैल के दांत नहीं देखे जाते. बैल अच्छे गुण वाला है या नहीं इसकी पहचान उसके दांत देख कर की जाती है. अब अगर आप किसी से बैल मांग कर ला रहे हैं तो उसके दांत थोड़े ही गिनेंगे. मांगी हुई वस्तु में गुण दोष नहीं देखे जाते.
- मंगनी के सतुआ, सास के पिंडा. मंगनी के सत्तू से सास का पिंडदान कर रही है. पहली बात तो यह है कि सास का पिंडदान आप कर ही क्यों रहे हैं, साले को (यानि उन के बेटे को) करना चाहिए. दूसरी बात आप के पास पैसा नहीं है तो माँग कर कर रहे हैं. अपनी सामर्थ्य न होने पर भी किसी अनावश्यक कार्य में टांग अड़ाने की मूर्खता करना.
- मंगलवार परै दीवारी, हँसे किसान मरे व्यापारी. यदि दीपावली मंगलवार को पड़े तो फसल अच्छी होती है.
- मक्के गए न मदीने गए, बीच ही बीच में हाजी भए. कोई कार्य न कर के केवल उसका दिखावा करना और उससे लाभ लेने की कोशिश करना.
- मक्के में रहते हैं पर हज नहीं करते. सारी सुविधाएँ उपलब्ध होते हुए भी कोई अच्छा काम न करना या फिर जो चीज़ सहज ही उपलब्ध हो उसकी कद्र न करना.
- मक्खी बैठी शहद पर पंख लिए लपटाए, हाथ मले और सर धुने लालच बुरी बलाए. लालच में फंस के प्राणी की दुर्गति हो जाती है. लालच वश मक्खी शहद पर बैठ गई और शहद पंखों पर लग गया. अब वह कभी उड़ नहीं सकती.
- मक्खी मारी पंख उखाड़े चींटे से रण जीता, मैं तो बहुत वीर मज़बूता. अपनी वीरता की डींग हांकने वाले किसी डरपोक आदमी पर व्यंग्य.
- मक्खी मारुं पंख उखाडूँ, तोडूँ कच्चा सूत, लात मार कर पापड़ तोडूँ, मैं बनिए का पूत. बनियों की बहादुरी पर व्यंग्य.
- मखमल के परदे पर टाट का पैबंद. कीमती और सुरुचिपूर्ण वस्तुओं के बीच में कोई बदनुमा चीज़.
- मगध देश कंचन पुरी, देश अच्छा भाषा बुरी. बिहार के लोगों की भाषा का मजाक उड़ाने के लिए.
- मछली के जाए किन्ने तैराए. जाए – उत्पन्न किए हुए, बच्चे. मछली के बच्चे को तैरना कौन सिखाता है? (वे खुद ही तैरना सीखते हैं). युवाओं को यह सीख देने के लिए कि तुम्हें सब कुछ सिखाया पढ़ाया नहीं जाएगा, अपनी निर्णय लेने की क्षमता भी विकसित करो.
- मछली खा के बगुला ध्यान. उन लोगों के लिए जो धार्मिक होने का ढोंग करते हैं और धार्मिकता की आड़ में चुपचाप गलत काम करते हैं.
- मछली तालाब में है, मसाले कुटने लगे. किसी काम के प्रति अदूरदर्शिता और मूर्खतापूर्ण उत्साह.
- मजनू को लैला का कुत्ता भी प्यारा. यदि कोई व्यक्ति आपको प्रिय हो तो उस की हर चीज़ अच्छी लगती है.
- मजबूरी का नाम महात्मा गांधी. महात्मा गांधी जी से प्रभावित होकर बहुत से संपन्न लोगों ने सादा जीवन शैली अपनाई थी. बहुत से लोग ऐसे भी थे जिनके पास कुछ नहीं था इसलिए वे साधारण तरीके से रहने को मजबूर थे. उनमें से कुछ लोग यह कहा करते थे कि भाई हम महात्मा गांधी के चेले हैं इसलिए बहुत सादगी से रहते हैं.
- मजे के लिए चाचा, सलाह के लिए बाबा. मौज मस्ती चाचा के साथ अच्छी लगती है लेकिन गंभीर विषयों पर सलाह बाबा से ही ली जाती है. परिवार में हर व्यक्ति का अलग महत्व है.
- मझधार में नाव नहीं बदलनी चाहिए. कोई काम जब नाज़ुक मोड़ पर हो तो उस समय अपने साधन बदलने से बचना चाहिए. उदाहरण के लिए जब गंभीर मरीज आधा ठीक हो चुका हो तो डॉक्टर नहीं बदलना चाहिए.
- मटका में पानी गरम, चिड़िया न्हावे धूर; चिऊंटी अंडा ले चले, तो वर्षा भरपूर. घाघ कवि ने अनुभव के आधार पर ऐसी बहुत सी कहावतें कही हैं. उनके अनुसार यदि मटके में पानी ठंडा नहीं हो रहा है, चिड़िया धूल में नहा रही है और चींटी अपना अंडा लेकर जा रही है तो भरपूर वर्षा होगी.
- मट्ठा मांगन चली, और मलैया पीछे लुकाई. मलैया – छोटी मटकी, लुकाई – छिपाई. माँगने भी जा रही हैं और शर्म भी आ रही है.
- मढ़ो दमामा जात नहिं सौ चूहों के चाम (रहिमन छोटे नरन सों बड़ो बनत नहिं काम). बहुत सारे छोटे लोग मिल कर भी बड़ा काम नहीं कर सकते. सौ चूहों का चमड़ा भी लगा दिया जाएतो भी दमामा (बहुत बड़ा वाला ढोल) नहीं मढ़ा जा सकता.
- मत कर सास बुराई, तेरे भी आगे जाई. बहू सास को सावधान कर रही है कि तू मेरे साथ बुरा व्यवहार मत कर. तेरी लड़की को भी ससुराल जाना है. जाई माने पुत्री.
- मतलब के दो बोल ही बहुत हैं. व्यर्थ की लम्बी चौड़ी बातों के मुकाबले अर्थ पूर्ण दो बातें अधिक उपयोगी हैं.
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yesterday i went to area 51 and i have a alein
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