Jigyasa essay in hindi
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हमारे अंदर कई तरह की शक्तियां छिपी हुई हैं। इन शक्तियों को जगाने के लिए हमें अपने जिज्ञासा रूपी अस्त्र को हर समय जागृत करके रखने की सबसे अधिक आवश्यकता होती है, क्योंकि इसी अस्त्र के माध्यम से हम अपने लक्ष्य को भेद सकते हैं। दरअसल, सफलता हासिल करने के लिए जिज्ञासा रूपी बीज बोना बहुत जरूरी है। रबींद्रनाथ टैगोर ने कहा था हमारा सारा ज्ञान एवं सारी योग्यताएं जिज्ञासा के बिना व्यर्थ हैं। जिज्ञासी होगी, तभी हम किसी काम को सीख सकते हैं या लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं। हां, उन्होंने सच ही कहा है कि सफलता के द्वार पर दस्तक देने के लिए जिज्ञासा संजीवनी की तरह काम करता है। गुरुवाणी में भी यही बातें कही गई हैं कि केवल पढने से नहीं, जिज्ञासा के साथ पढने से ही बात बनती है। यानी जिज्ञासा जगाओ और बूझो..फिर जगाओ और फिर बूझो। दरअसल, हमारे भीतर का जो अनहद नाद है, उसे समझो। ..और उसे समझने के लिए जिज्ञासा रूपी खिडकी को खोल कर रखना होगा। देखा जाए, तो इनसान की दुनिया क्यों, कैसे, क्या, कब और कहां जैसे सवालों से भरी हुई है। दरअसल, किसी भी घटना के पीछे इन्हीं सवालों का जवाब होता है। इनके जवाब ढूंढने की प्रक्रिया को ही उत्सुकता का नाम दिया जाता है। यही उत्सुकता ज्ञान का रास्ता दिखाती है, जो आगे सफलता हासिल करने में सहायता करती है। यदि यह कहें कि ज्ञान और जिज्ञासा सफलता के खजाने तक पहुंचने के मूल और महत्वपूर्ण रास्ते हैं, तो शायद गलत नहीं होगा। वैसे, एक सर्वे में भी यह बात सामने आई है कि हर सफल व्यक्ति जिज्ञासु प्रवृत्ति का होता है, क्योंकि हर छोटी-बडी चीज को जानने, समझने और उस पर विचार करने की कोशिश ही उन्हें सफलता के मायने समझाती है। वैसे, यह भी एक सच्चाई है कि विचारों का यही मंथन इंसान को न केवल ज्ञान के नए-नए स्वरूप से परिचय कराता है, बल्कि कामयाबी की नई-नई राहें भी दिखलाता है।
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जिज्ञासा ही आविष्कार की जननी है। यह कथन बिल्कुल सही है। अगर जिज्ञासा ना हो तो आविष्कार नहीं होंगे।
वैज्ञानिकों ने इसी जिज्ञासा की वजह से आज कई असंभव लगने वाले कार्यों को कर दिखाया है।
बहुत सी चीजें पहले हमें मलूम नहीं थी लेकिन जिज्ञासा की वजह से लोगों ने उसे खोजा, पढ़ा और जाना।
सफलता पाने का भी मूल मंत्र जिज्ञासा है। हर छात्र की जिज्ञासु प्रवृति का होना चाहिए। इससे उसे नई चीन सीखने और जानने को मिलती है।
हम सब एक अंदर जिज्ञासा होती है, किसी में कम तो किसी में ज्यादा।
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