jis jis pr nishaan laga h uske answer do jldi imp h for 12thclass
Answers
1) देवसेना के जीवन पर दृष्टिपात करते हुए अपने अनुभवों में अर्जित वेदना में चलो को याद करती हूं कहती है कि मैंने अपने जीवन में जो कुछ भी एकत्रित किया था वह सारी पूंजी भ्रम में पड़कर लुटा दी अर्थात जीवन की संध्या बेला मैं मैंने अपना सब कुछ लुटा दिया मैं कुछ भी नहीं बचा सकी
2) कवि ने आशा को बावली इसीलिए कहा है क्योंकि मैं जीवन के यथार्थ को ना समझते हुए भ्रम में पड़ी रहती है देवसेना का जीवन संघर्ष से भरा हुआ है वह नियति से हार स्वीकार कर चुकी है इस विषम परिस्थिति में आशा उसके मन में नहीं आकांक्षा जगह रही है जिसकी पूर्ति असंभव है यही कारण है कि कवि ने आशा को बावली कहां है
4) यहां कभी देवसेना के बेचैन मन की वेदना को दर्शा रहा है जो कि पहले स्वयं उसके जीवन में पर सवार है वह अपनी कमजोरियों और निश्चित हार के बावजूद पहले से जूझती रहती है यहां देवसेना दुनिया से अपनी छाती लौटा लेने को कहती है क्योंकि इससे उसके करुणा में जीवन में तूफान मचा रहा है अब वह इसे और नहीं झेल सकते क्योंकि इसी के कारण उसने अपनी इज्जत गवारी है