Hindi, asked by shahjahabanoqureshi, 18 hours ago

jivan ke liye adhik vishram per paragraph

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Answered by kumaruknown
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Answer:

I don't know

Explanation:

sorrytyyyyyyyyy

Answered by prakashakash802
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Answer:

दिनभर की भागदौड़ के बाद जब हम थक कर चूर हो जाते हैं, तो बस यही मन करता है कि अब बिस्तर पर गिरते ही नींद आ जाए। होता भी यही है और जब नींद खुलती है तो लगता है थकान अब भी बाकी है। फिर वहीं रोजमर्रा की जिंदगी और फिर वहीं थकान। फिर आता है छुट्टी का दिन, लेकिन ये क्या? छुट्टी के दिन तो हमारे इतने सारे काम पहले से ही पेंडिंग पड़े हैं कि उन्हें कब निपटाएंगे? और फिर इन कामों को करें या न करें? लेकिन सोच-सोचकर ही थकान इतनी ज्यादा हो जाती है कि चिढ़ होने लगती है।

Explanation:

विश्राम करना आवश्यक क्यों है?

मैं, आप और हर कोई अपनी-अपनी परिस्थितियों के अनुसार विश्राम करते हैं, किन्तु हम में से कितने ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने कभी भी यह सोचा हो कि विश्राम करना आवश्यक क्यों हैं ?

हमें विश्राम करने की जरूरत इसलिए है कि हम बेजान नहीं है । हमारे शरीर में अनेक प्रकार के छोटे-बङे अंग है और साथ ही ऐसे भी अंग हैं जो दूसरे अंगो की क्रियाओं का संचालन करते हैँ-अर्थात् हम चलते-फिरते है तो सीधे तौर पर हमारी टांगें हरकत में आती हैं किन्तु रक्तवाहनियां हैं जो इन अगों तक दौरा करके इन्हें हरकत करने के योग्य बनाती हैं – मस्तिष्क है, जो चलने की प्रेरणा प्रदान करता है । इस प्रकार शरीर का प्रत्येक अंग किसी-न-किसी रूप में काम करता ही रहता हैं । तब यह भी स्वाभाविक है कि ये अंग अपनी क्रियाओं के सम्पादन मेँ शक्ति व्यय करते हैं । यदि इसकी पूर्ति न हो तो भला कब तक ये काम करते रह सकते हैं इसी प्रकार, जैसे मोटर को खींच ले जाने में इंजन काम करता है । इंजन की शक्ति होती है तेल । यदि तेल समाप्त हो जाये तो इंजन रुक जाता है-बन्द हो जाता है । दूसरे शब्दों में कहा जा सकता हैं कि जितनी शक्ति उसके पास थी वह सब व्यय हो गई । इसकी पूर्ति जब नहीं हुई-अर्थात् इंजन को तेल नहीं मिला तो यह रुक गया ।

ठीक इसी प्रकार हमारा शरीर भी एक मोटर है और इसे खींचने वाले है भिन्न अंग । इन अंगों को शक्ति उपलब्ध होती हैं आहार आदि भिन्न पदार्थों एवं साधनों से । विश्राम इनमें से एक महत्त्वपूर्ण साधन है ।

दिन-भर हम काम करते है और रात को सीने की इच्छा करते हैं-सिर्फ इसीलिए कि जो हमारे शरीर के भिन्न अंग काम करते-करते थक गये है, उन्हें आराम मिल सके और फिर से काम करने की शक्ति उनमें आ सके ।

आज का युग मनोवैज्ञानिक युग है – इसलिए कि संसार का प्रत्येक व्यक्ति आज किसी-न-किसी मानसिक उलझन का शिकार हैं । इस सिलसिले में हमारे देश की स्थिति तो और भी दयनीय है । आज हमें कोई किसी-न-किसी चिंता अथवा परेशानी में घिरा दीख पङता है । इस सबका प्रभाव तीव्र रूप से मस्तिष्क पर पङता है । यदि उचित रूप से विश्राम नहीं किया जाये तो मानसिक दवाब एवं उत्तेजना का शिकार होकर पागलखाने में भर्ती होने की बात ही शेष रह जायेगी ।

तात्पर्य यह है कि मानसिक एवं शारीरिक स्वस्थता के लिये विश्राम एक अनिवार्य जरूरत है, जिसके प्रति लापरवाह होना खसरे की बात ही कही जा सकती है ।

Hope this is useful for you.

Marks me as brainlist.

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