Hindi, asked by SadhnaRoy, 1 year ago

jivan mai pustak Ka mahatva essay in hindi

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Answered by Anonymous
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गीता में कहा गया है- ”ज्ञानात ऋते न मुक्ति” अर्थात् ज्ञान के बिना मुक्ति सम्भव नहीं है । ज्ञान की प्राप्ति के मुख्यत: दो मार्ग है- सत्संगति और ‘स्वाध्याय’ । तुलसीदासजी ने सत्संगति की महिमा बताते हुए कहा है- ”बिन सत्संग विवेक न होई” परन्तु सत्संगति की प्राप्ति रामकृपा पर निर्भर है । यदि भगवान की कृपा होगी तो व्यक्ति को सत्संगति मिलेगी ।

परन्तु पुस्तकें तो सर्वत्र सहजता से उपलब्ध हो जाती हैं । ज्ञान का महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं-पुस्तकें । आज संसार की प्राचीनतम पुस्तकें भी हमें उपलब्ध हैं । प्रत्येक भाषा में विपुल साहित्य उपलब्ध है । प्रत्येक मनुष्य अपनी क्षमता के अनुसार अध्ययन करके अपने ज्ञान क्षितिज का विस्तार कर सकता है ।

एक युग था जब पुस्तकों का प्रकाशन सम्भव नहीं था । ज्ञान का माध्यम वाणी ही थी । अधिक से अधिक भोजपत्र उपलब्ध थे । जिन पर रचनाएं लिपिबद्ध की जाती थीं । परन्तु आज के युग में छापेखाने का आविष्कार होने के बाद हमें ऋषि-मुनियों, दार्शनिकों, चिन्तकों और साहित्यकारों के विचार मुद्रित रूप में उपलब्ध हैं । अत: हम उनका अध्ययन करके अपने जीवन को भ्रष्ट बना सकतै हैं ।

कुसंगति से बुरा रोग नहीं है । इसीलिए कहा गया है- better alone than in a bad company . अर्थात् कुसंगति से एकान्त कहीं ज्यादा उत्तम है । पुस्तकें एकान्त की सहचारी हैं । वे हमारी मित्र हैं जो बदले में हम से कुछ नहीं चाहती । वे इस लोक का जीवन सुधारने और परलोक का जीवन संवारने की शिक्षा देती है ।


Brainly100: No Chats Here
Answered by cutipiejannat1298
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hey mate there is your ans...

पुस्तकों में हमें ज्ञान की प्राति होती है। पुस्तकों के माध्यम से हम तरह-तरह की बातें जान सकते हैं। अच्छी पुस्तकें हमारे लिए बहुत लाभदायक होती है। इस प्रकार की पुस्तकों में हमें अच्छी और नई-नई बातों की जानकारी मिलती है, हमारा ज्ञान बढ़ता है। अच्छी पस्तकें सबसे अच्छी दोस्त होती है। मैं हमेशा अच्छी पुस्तकें पढ़ता हूं।

वैसे तो मैंने बहुत सारी पुस्तकें पढ़ी हैं, किंतु ‘रामचरितमानस’ ने मुझे अत्याधिक प्रभावित किया है। यह एक धार्मिक ग्रंथ ही नहीं वरन साहित्यिक ग्रंथ भी है। प्रत्येक हिंदू इस ग्रंथ की देवता की तरह पूजा करता है। यह एक काव्य-ग्रंथ है, जो अवधी भाषा में लिखा गया है। इसमें चौपाई और दोहे हैं, जिन्हें गाया भी जाता है। इसके रचयिता गोस्वामी तुलसीदास हैं। हिंदी साहित्य में उनका उल्लेखनीय स्थान है। वे रामभक्त कवि थे। इस पवित्र पुस्तक ने मुझे इतना अधिक प्रभावित किया है कि मैं इसका वर्णन नहीं कर सकता। यह एक सरल पुस्तक है। इसकी भाषा सरल है। यह एक बहुमूल्य और आदर्श पुस्तक है। इस पुस्तक में हमें आध्यात्मिक ज्ञान, कर्तव्य-पालन, बड़ों का सम्मान तथा मुसीबत में धैर्य रखने की शिक्षा मिलती है।

प्रत्येक छात्र को अच्छी और शिक्षाप्रद पुस्तकों का अध्ययन करना चाहिए। इससे विद्यार्थियों के चरित्र-निर्माण पर गहरा असर पड़ता है। इस पुस्तक को पढऩे से धर्म के मार्ग पर चलने की सीख मिलती है। इसलिए मेरी दृष्टि में ‘रामचरितमानस’ बहुत ही अच्छी पुस्तक है। ‘रामचरितमानस’ में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के चरित्र का वर्णन है। राम एक आदर्श पुरुष थे। वे चौदह वर्ष तक लक्ष्मण व सीताजी सहित वन में रहे। वे एक आदर्श राजा थे। उन्होंने प्रजा की बातों को बहुत महत्व दिया। राम का शासनकाल आदर्शपूर्ण था, इसलिए उनका शासन ‘राम राज’ कहलाता है। सीता एक आदर्श नारी थीं। लक्ष्मण की भातृभक्ति प्रशासंनीय है।

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