Hindi, asked by freefire8725, 4 months ago

jivan me safalta pane k liye kithin sangarshki aayasakta hoti hi . is kathan ko apne jivan k kisi niji ang k dawara pusti kijye ( about 300 - 350 words) ​

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Answered by Anonymous
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Answer:

जीवन में सफलता पाने के लिए कठिन संघर्ष की आवश्यकता होती है। मानव जीवन विविधताओं एवं जटिलताओं का मिश्रण है। सभी का जीवन सीधे राह नहीं चलता। किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कड़े संघर्ष की आवश्यकता होती है। मेरा जीवन भी अत्यंत जटिल रहा है। पिताजी के देहांत के बाद घर का चलना कठिन हो गया। मेरी दसवीं की पढ़ाई बीच में ही छूट गई। मुझें एक फैक्टरी में दैनिक मज़दूर का काम करना पड़ा। जिससे मेरा, मेरी माता तथा मेरी बहन का जैसे तैसे पेट पल रहा था। परंतु मेरा ध्यान अब भी इस बात पर केंद्रित था कि मैं अपनी शिक्षा को अधूरा नहीं छोड़ सकता। मैं असमर्थ अवश्य था परंतु असफल नहीं था। हर असफलता के पीछे सफलता छिपी रहती है जो जीवन के लिए नया संदेश लेकर आती है। साहसी व्यक्ति असफल होने पर भी शांत होकर नहीं बैठता बल्कि उत्साह से आगे बढ़कर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास करता हुआ निरंतर संघर्ष करता है। साहसी एवं बुद्धिमान व्यक्ति कभी असफलताओं से घबराता नहीं। वह जान जाता है कि हिम्मत हारने से कुछ बनता नहीं, बिगड़ता ही है। अतः वह अपने मनोबल को बनाए रखता है। जो व्यक्ति बार-बार असफलताओं का मुख देखकर अपना आत्मविश्वास एवं मनोबल खो बैठते हैं, ऐसे व्यक्ति जीवित होते हुए भी मृतक की भाँति है। मैंने अपनी पढ़ाई का नया मोर्चा खोल लिया। घर में सब सो जाते, तो मैं अपनी पढ़ाई में लग जाता। दिन में काम की थकान मुझे बोझिल बनाती परंतु लक्ष्य की प्राप्ति संघर्ष के पथ पर अग्रसर होने को प्रेरित करती। मनुष्य को यह बात भली-भाँति जान लेनी चाहिए उसके अधिकार में तो केवल कर्म करना ही है। फल पर उसका कोई अधिकार नहीं। संघर्ष ही जीवन है और जीवन एक संघर्ष है। इसलिए जय-पराजय, सफलता और असफलता के बारे में सोचना व्यर्थ है। आशा, उत्साह के सहारे ही मनुष्य बड़े-बड़े वीरता एवं साहस के कारनामे कर दिखाता है। विश्व इतिहास इसका साक्षी है कि ऐसे कई महान व्यक्ति हुए हैं जिन्होंने बार-बार असफलताओं का मुँह देखने पर ‘ भी अपनी हिम्मत न हारी। इनमें महाराणा प्रताप, शिवाजी, राबर्ट ब्रूस, अब्राहम लिंकन, महात्मा गाँधी जैसे अनेक महापुरुष हुए हैं जिनकी प्रबल इच्छा शक्ति के वेग ने उन्हें असाधारण लोगों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया। दुर्बल संकल्पवाला तथा कायर व्यक्ति समुद्र तट पर बैठा रहता है, वह डूबने के भय से समुद्र के आँचल में छिपे मोती प्राप्त नहीं कर पाता। मेरा संघर्ष रंग लाया और मैंने अपनी दसवीं की परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास कर ली। अब आगे की योजना के लिए कठिन संघर्ष की आवश्यकता थी। पुस्तकें तो एक परिचित से मिल गईं परंतु विज्ञान की परीक्षा के लिए सुविधाएँ नहीं मिल पाईं। अतः मैंने आर्टस की परीक्षा देने और बी. ए. के बाद आई. ए. एस. की तैयारी का दुर्गम लक्ष्य ठान लिया। मैं किसी से चर्चा करता तो लोग मेरा मज़ाक उड़ाते परंतु मैं अडिग रहा। मैंने अब तक की पुस्तकों में पढ़ा था कि जापान, इंग्लैंड हारकर भी नहीं हारे, टूट कर फिर बन गए और शीर्ष पर पहँच गए। द्वितीय विश्वयुद्ध में जापान के दो बड़े औद्योगिक नगर हिरोशिमा एवं नागासाकी अणु बम का शिकार हो गए थे फिर भी जापान ने हिम्मत न हारी तथा चुनौतियों को स्वीकार किया। उन्होंने अपनी कर्मठता, सतत् मेहनत एवं लगन से अपने देश को संपन्न देशों की पंक्ति में लाकर खड़ा कर दिया। इसी प्रकार दूसरे विश्वयुद्ध में जब इंग्लैंड को भी पराजय का मुख देखना पड़ा था, यदि वह निराशा के गर्त में डूबा रहता तथा इसे भाग्य का खेल मानकर चुपचाप शांत होकर बैठ जाता है, तो वह आज भी पराधीनता एवं पराजय का दंश झेल रहा होता, परंतु इंग्लैंडवासियों ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने अपनी पराजय से सबक लिया तथा दुगने उत्साह एवं आत्मविश्वास, मेहनत एवं लगन से अपने देश को स्वतंत्र एवं महान बनाया। हमारे देश का स्वतंत्रता संग्राम भी इस बात का प्रत्यक्ष साक्षी है कि संघर्षमय दृष्टिकोण ही सफलता का द्योतक होता है। लोगों के चिंतन के विपरीत मैंने संघर्ष जारी रखा। मेरे सामने वह पानवाले का निर्धन बेटा आदर्श था, जो आई. ए. एस. में प्रथम रहा था। अंतत: मैं प्रथम तो नहीं आ पाया परंतु आई. ए. एस. अवश्य बन गया। अतः मानव को चाहिए कि कठिन से कठिन परिस्थिति में भी वह कभी धैर्य का साथ न छोड़े तथा निराशा, उदासी एवं नकारात्मक दृष्टिकोण को अपने पास न फटकने दे। संसार में कुछ भी असंभव नहीं है। बस आवश्यकता है तो व्यक्ति में उत्साह, हिम्मत एवं संघर्षमय दृष्टिकोण की। मानव को चाहिए कि वह हमेशा कर्मठता एवं मनोबल से कार्य करता रहे और जीवन का संघर्ष जारी रखें।

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