Jivani ki do visheshtay bhataiye
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hasna aur padhai karna
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जीवनी गद्य साहित्य की ऐसी विधा है जिसमे ‘कला’ , आलोचना और विवेचन की मिली जुली प्रकिया कार्य करती है, अतः उसके तत्वों का निरूपण न तो उपन्यास, कहानी, नाटक आदि के तत्वों की भांति हो सकता है और न ही निबंध या आलोचना की भांति उसकी कसौटियां निर्धारित की जा सकती है. इसका अपना एक अद्भुत प्रारूप है जिनमे कथा, चरित्र, गुण, विवेचन सब कुछ रहता है. अतः “जीवनी” लेखक को कुछ अनिवार्यता का ध्यान रखना पड़ता था, जिनके बिना जीवनी एक पूर्ण और सफल जीवनी नहीं बन सकती.
आज वर्तमान समय में जीवनी साहित्य की लोकप्रिय विधा है. इसके लेखन वैज्ञानिक दृष्टी और प्रमाणिक तथ्य होना चाहिए. लेखन की कला में जिनती कलात्मकता होगी वह जीवनी उतनी ही प्रमाणिक समझी जाएगी. हिंदी साहित्य में इस विधा जिसका भविष्य उज्जवल है |
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