Jiwan ki sacchai kya hay?
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jiwan ki sachai ye hai ki jo aya hai use marna hi hai
हर एक आँसू के साथ पिछला सब कुछ भूल जाना होगा
क्या तू कोई फ़रिश्ता है जो तेरे साथ बुरा ना होगा
नये मकानों नये बंगलो की बुनियाद रखी जिसने
उस मज़दूर का घर यारों कच्चा और पुराना होगा
नदियों की आँखों मे भी तो आँसू भर आते होंगे
उन्हें खुद को खाली कर बंजर खेतो को बसाना होगा
माँ बाप बहन भाई से अलग जब रिश्तो को तुम देखोगे
साज़िश होगी रंजिश होगी मिलना खोना पाना होगा
वो जिसने सहरो की गर्दिश मे गांवो को भूलना चाहा है
उसको भी आकर के एक दिन खेतो का रीढ़ चुकाना होगा
बड़ी मुश्क़िल से हिम्मत रोशनी सा फिर सफर मे है
इन षड्यंत्री अँधेरो से रोशन सा नूर बचाना होगा
इक सुन्दर साँचे सा ढल जाओ यही जीवन का पैमाना हैं
हर एक साँसों की गवाही होगी कर्मों का ज़ुर्माना होगा
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