jकवि को किन बादलों के मंडराती कोमलता कष्ट देती है
बरसते
ममता के
जल से भरे
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mamta keep badal I'll
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कवि को ममता से भरी बादलों के मंडराती कोमलता कष्ट देती है l
- अतः दूसरा विकल्प सही है l
- यह प्रश्न सहर्ष स्वीकारा है नामक कविता से लिया गया है l जिसके लेखक गजानन माधव मुक्तिबोध है l
- कवि अपनी प्रियतमा स्वरूपा को भूलना चाहता है। वह उस अंधकार को अपने शरीर, हृदय पर सहना चाहता है। प्रियतम के स्नेह की कोमलता या स्नेह का बादल उसके भीतर सदैव मंडराता रहता है।
- यह कोमल स्नेह उनके हृदय को आहत करता है। इससे उसकी आत्मा बहुत कमजोर और अक्षम हो गई है। भविष्य में क्या हो सकता है, इससे वह डरा हुआ है। उसे अंदर ही अंदर डर लगने लगा है कि अगर उसे कभी अपनी प्रेयसी (माँ या प्रेमिका) के प्रभाव से अलग होना पड़ा तो वह अपना वजूद कैसे बचा पाएगा। अब उसे सहलाना, दुलारना सहन नहीं होता और रहकर अपना स्नेह प्रकट करता है। वह स्वतंत्र होना चाहता है।
अन्य विकल्पों की जानकारी -
बरसते : कविता के अनुसार बरसते बादल कोई कष्ट नहीं देते है l
जल से भरे : कविता के अनुसार बादलों के जल से भरा होने पर भी कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता l
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