Juban Ka chabuk chlane Ka kya arth h /? trilok sing be ye kyu chlaya
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sorry bro I not understand your question sorry
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जुबान से चाबुक चलाने का अर्थ है खरी खरी सुनाना।
मास्टर त्रिलोकसिंह को भी जुबान का चाबुक चलाना पड़ा क्योंकि धनीराम की तेरह के पहाड़ा नहीं आ रहा था।
•एक दिन जब धनराम तेरह का पहाड़ा नहीं सुना पाया तब मास्टर त्रिलोक सिंह ने अपनी जबान की चाबुक का उपयोग करते हुए कहा कि उसके दिमाग में लोहा भरा हुआ है, वहाँ विद्या का ताप नहीं पहुँचेगा।
• बात सच भी थी क्योंकि धनराम के पिता में किताबों पर विद्या का ताप लगाने का सामर्थ्य नहीं था इसलिए जैसे ही धनराम हाथ पैर चलाने लायक हुआ कि पिता ने उसे धौंकनी फूँकने या सान लगाने के कामों में उलझाना शुरू कर दिया और फिर हथौड़े से लेकर घन चलाने की विद्या सिखाने लगा।
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