Hindi, asked by swatiarora19999, 8 months ago

की आत्मकथा jutanका सार बताते हैं​

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Answered by harshpinder03
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जूठन का सारांश

'जूठन' दलित जीवन की मर्मान्तक पीड़ा का दस्तावेज है। जीवन की सुख-सुविधा और तमाम नागरिक सहूलियतों से वंचित दलित जीवन की त्रासदी उनके व्यक्तिगत वजूद से लेकर घर-परिवार, बस्ती और पूरी सामाजिक व्यवस्था तक फैली हुई है। दलितों का जीवन ऐसा था कि कोई सामन्त व सेठ-साहूकार दलितों को नाम से पुकारने की किसी को आदत नहीं थी।

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