(क) अलोपीदीन कैसे व्यक्ति थे
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एक अपनी नौकरी के प्रति ईमानदार था और एक समाज के प्रति अपनी छवि को लेकर ईमानदार था। ... वंशीधर भी यह बात जान गया था कि अलोपीदीन ने उसके आदर्श, कर्तव्यनिष्ठा, ईमानदारी को समझा है। उसे वह व्यक्ति मिल गया जिसके साथ रहकर वह अपने धर्म की रक्षा कर सकता था। वंशीधर के लिए ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा उसका धर्म था।
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नमक का दारोगा' कहानी में पंडित अलोपीदीन के व्यक्तित्व के कौन से दो पहलू (पक्ष) उभरकर आते हैं? एक – पैसे कमाने के लिए नियमविरुद्ध कार्य करनेवाला भ्रष्ट व्यक्ति। लोगों पर जुल्म करता था परंतु समाज में वह सफ़ेदपोश व्यक्ति था। ... दो – कहानी के अंत में उसका उज्ज्वल चरित्र सामने आता है।
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