क} अपठित बोध (10
अंक)
सिस्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
राष्ट्रीय एकता का अर्थ यह है कि देश के सभी नागरिक चाहे वे किसी भी संप्रदाय, जाति, धर्म, भाषा अथवा क्षेत्र से
संबंधित हो, इन सब सीमाओं से ऊपर उठकर इस समूचे देश के प्रति वफ़ादार और आत्मीयतापूर्ण हो। इसके लिए यदि
इसको अपने निजी स्वार्थ अथवा समूह के स्वार्थ का भी त्याग करना पड़े तो उसके लिए उन्हें तैयार रहना चाहिए और
उसके लिए देश का हित सवोपरि होना चाहिए। किंतु कभी-कभी तो लगता है कि देश की स्वतंत्रता के बाद हम राष्ट्रीय
एकता से विमुख होकर राष्ट्रीय विघटन की ओर अग्रसर हो रहे हैं। स्वतंत्रता के पहले गांधीजी के नेतृत्व में पूरा देश
एक होकर अंग्रेजो सामाज्य के विरुद्ध लड़ा था, परतु उसके बाद पुनः हम धर्म, भाषा, क्षेत्रीयता के नाम से आपसी
झगड़ों में उलझ गए हैं। हमारा देश प्राचीनकाल से ही विभिन्न धर्मों, संप्रदायों, विचारधाराओं तथा परंपराओं का समन्वय
भाल रहा है, परंतु आधुनिक काल में जब से विभिन्न धर्मों और संप्रदायों में अलगाव होने लगा, पारस्परिक द्वेष और
बढ़ने लगा, तभी राष्ट्र प्रत्येक दृष्टि से कमजोर होने लगा। राजनीतिक दल इस पारस्परिक तनाव का लाभ उठाकर
राजनीतिक स्वार्थ पूरा करने लगे। इसलिए नेहरू जी ने कहा था, “मैं सांप्रदायिकता को देश का सबसे बड़ा शत्रु
মাল
(2)
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(क) राष्ट्रीय एकता से क्या तात्पर्य है? स्पष्ट कीजिए।
(ख) "देश का हित सर्वोपरि होना चाहिए"-पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
(ग) लेखक को ऐसा क्यों लगता है कि हम विघटन की ओर बढ़ रहे हैं?
(घ) प्रस्तुत गद्यांश के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि देश का सबसे बड़ा शत्रु कौन है और क्यों?
(इ) देश को समन्वय स्थल कहने से लेखक का क्या अभिप्राय है?
(च) प्रस्तुत गद्यांश का सर्वाधिक उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
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राष्ट्रीय एकता का अर्थ यह है कि देश के सभी नागरिक चाहे वे किसी भी संप्रदाय, जाति, धर्म, भाषा अथवा क्षेत्र सेसंबंधित हो, इन सब सीमाओं से ऊपर उठकर इस समूचे देश के प्रति वफ़ादार और आत्मीयतापूर्ण हो।
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