काबा फिर कासी भया, राँमहि भया रहीम। मोट चून मैदा भया, बैठि कबीरा जीम॥
Answers
Answered by
11
काबा फिर कासी भया, राँमहि भया रहीम। मोट चून मैदा भया, बैठि कबीरा जीम॥
अर्थ सहित व्याख्या कबीरदास कहते हैं कि हे मानव! सम्प्रदाय के आग्रहों को छोड़कर मध्यम मार्ग को अपनाने पर काबा काशी हो जाता है और राम रहीम बन जाते हैं। सम्प्रदायों की रूढ़ियाँ समाप्त हो जाती हैं। भेदों का मोटा आटा अभेद का मैदा बन जाता है। हे कबीर! तू इस अभेद रूपी मैदे का भोजन कर, स्थूल भेदों के द्वन्द्व में न पड़।
hope it will helps you
Answered by
17
Answer:
The above answer is correct.
Similar questions