Hindi, asked by Dipu3302, 8 months ago

काबा फिरि कासी भया, रामसिंह भया रहीम॥ मोट चून मैदा भया, बैठि कबीरा जीमत्॥ 4|

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Answered by deshdeepak88
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Answer:

कबीरदास कहते हैं कि हे मानव! सम्प्रदाय के आग्रहों को छोड़कर मध्यम मार्ग को अपनाने पर काबा काशी हो जाता है और राम रहीम बन जाते हैं। सम्प्रदायों की रूढ़ियाँ समाप्त हो जाती हैं। भेदों का मोटा आटा अभेद का मैदा बन जाता है। हे कबीर! तू इस अभेद रूपी मैदे का भोजन कर, स्थूल भेदों के द्वन्द्व में न पड़।

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