(क) बिहारी ने कैसे समझाया है कि ईश्वर बाहरी आडंबर से नहीं, सच्चे स्वभाव से मिलता है?
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Heya BTS army!!!!!( Even I am an ARMY )
Here's your answer ✌✌✌
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प्रस्तुत दोहे में कवि बिहारी ने ईश्वर भक्ति में डोंग, आडंबर और पाखंड की निंदा करते हुए सच्चे मन से ईश्वर की उपासना करने पर बल दिया है। माला की जाप, शरीर पर रामनामी वस्त्र धारण करना, माथे पर चंदन की तिलक लगाना आदि ये सब बाह्य आडंबर हैं। इन सब प्रयासों से प्रभु - भक्ति नहीं की जा सकती। कच्चे मन वाले व्यक्ति ही व्यर्थ की बातों की ओर आकर्षित होते हैं। राम तो सच्चे मन की भक्ति से ही प्रसन्न होते हैं अर्थात् ढोंग और पाखंड से प्रभु की प्राप्ति संभव नहीं है। उन्हें तो केवल शुद्ध और पवित्र मन से ही प्राप्त किया जा सकता है।
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Hope it helps you ☯☯☯
Cheers ☺☺☺
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