काबुली वाले से हमें क्या सीख मिलती है
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काबुलीवाला कहानी बहुत ही अच्छी कहानी है। यह एक पांच साल की बच्ची मिनी एवं उसके प्यारे काबुलीवाले की कहानी है। यह कहानी रबींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखी गई है।
इस कहानी में प्रेम पर जोड़ दिया गया जो प्रेम एक पिता एवं पुत्री में होता है। जो कभी कम नहीं हो सकता।
या कहानी काबुलीवाला श्री रविंद्र नाथ टैगोर जी के द्वारा लिखा गया है| इसमें एक 5 साल की बच्ची मीनिंग और उसके पिता और काबली वाले की कहानी होती है |
इसमें बहुत स्नेह भरा पात्र होता है| इस कहानी से हमें यह सीख सीख मिलती है |कि हमें सपनों से प्रेम करना चाहिए मिनी का ब्लू वाले से अत्यधिक दोस्ती भरा मैत्रीपूर्ण स्वभाव रखती हैं |और अपने पिता से वह अत्यधिक प्रेम करती है| हमें भी इस कहानी से सीख लेनी चाहिए|
आपसी भाईचारे और प्रेम के कारण ही दुनिया का अस्तित्व बना हुआ है। दूर देश में जाकर भी जब व्यक्ति पराये लोगों को अपना बना लेता है तो उसके जीवन की सार्थकता सिद्ध होती है। गुरु रविंद्रनाथ टैगोर की रचनाएं भी आपसी प्रेम पर बल देती है, जिससे मानव के आपसी संबंधों में मधुरता आने की संभावना रहती है। यह कहना था अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रदेशाध्यक्ष प्रमोद शास्त्री का। वे मंगलवार शाम मल्टी आर्ट कल्चरल सेंटर में आयोजित नाटक के शुभारंभ पर बोल रहे थे। मैक व्यथ थियेटर ग्रुप अम्बाला के कलाकारों द्वारा भारत सोपोरी के निर्देशन में तैयार गुरु रविंद्र नाथ टैगोर की रचना पर आधारित नाटक काबुलीवाला के मंचन किया गया। मंच संचालन विकास शर्मा ने किया।