Hindi, asked by jitendrasmp0101, 4 months ago

क) बंदऊँ संत असज्जन चरना दुखप्रद उभय बीच कछु बरना।
बिछुरत एक प्रान हरि लेहीं। मिलत एक दुख दारुन देहीं।​

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Answered by attitudegirljatti
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Answer:

अब मैं संत और असंत दोनों के चरणों की वन्दना करता हूँ, दोनों ही दुःख देने वाले हैं, परन्तु उनमें कुछ अन्तर कहा गया है। वह अंतर यह है कि एक (संत) तो बिछुड़ते समय प्राण हर लेते हैं और दूसरे (असंत) मिलते हैं, तब दारुण दुःख देते हैं। (अर्थात्‌ संतों का बिछुड़ना मरने के समान दुःखदायी होता है और असंतों का मिलना

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