‘काभचोय’ ऩाठ भें बेड़ें ककस ऩय टूट ऩड़ी औय उसका तमा ऩरयणाभ हुआb
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- लेखक और नवाब के बीच में लेखक का व्यवहार अत्यंत सामाजिक है। नवाब साहब की नवाबी तो हट गई थी परंतु उनके व्यवहार नवाबी थे। उनके नवाबी चरित्र को प्रकट करने के लिए खीरे को उन्होंने खिड़की से बाहर फेंक दिया, ऐसा व्यवहार आज के दौर में करना अत्यंत ही असामाजिक है। उन्होंने अपनी नवाबी तहजीब के घमंड के चलते उन्होंने लेखक से बात करने के बारे में सोचे तक नहीं। इससे पता चलता है कि उनकी नवाबी हटने के बावजूद भी उनकी नवाबी घमंड नहीं हटी, इस घमंड के चलते उनका व्यवहार अत्यंत ही आसामाजिक है।
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लेकिन वहाँ न तो बाज था और न कबूतर। ... यहाँ तक कि देवता भी राजा शिवि से ईर्ष्या करने लगे थे। ... दरबार में बैठे थे तभी एक कबूतर उड़ता हुआ आया और ... क्योंकि उसमें कहानी का संदेश है।
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