Hindi, asked by nandankumar736701795, 7 months ago

कुंभकार के पेशे को स्वयं कुंभकारों की नई पीढ़ियाँ चाव से क्यों नहीं अपनाना चाहतीं?​

Answers

Answered by shishir303
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कुंभकार के पेशे को स्वयं कुंभकारों की नई पीढ़ियां चाव से इसलिए नहीं अपनाना चाहतीं, क्योंकि उन्हें इस पेशे में अपना सुनहरा भविष्य नजर नहीं आता।

व्याख्या ⦂

✎... ‘फिर-फिर उठती है माटी की लौ’ पाठ में लेखक श्रीलाल शुक्ल कहत हैं कि मिट्टी के बर्तनों के कम उपयोग के कारण मिट्टी के बर्तनों की इतनी अधिक मांग नहीं रहे गई, जितनी पहले कभी होती थी। इसलिए कुंभकार को अपनी मेहनत का पर्याप्त पारिश्रमिक तक नहीं मिल पाता। कुंभ कारों की हालत जस की तस है।

आज शहरों में कुछ लोग शौकिया तौर पर मिट्टी के बर्तन खरीदते हैं, लेकिन उनकी संख्या बहुत अधिक नहीं है। कुंभकार जो भी मिट्टी के बर्तन बनाते हैं, उसपर उन्हें बहुत अधिक बचत नहीं हो पाती। मिट्टी के बर्तनों की कीमतें बढ़ी हैं, लेकिन शहरों में शौकिया तौर पर लोगों द्वारा मिट्टी के बर्तन खरीदे जाने के कारण मिट्टी के बर्तनों की कीमतें बढ़ी तो है, लेकिन बहुत अधिक नहीं बढ़ी हैं। इसलिए कुंभकारों की स्थिति पहले की तरह ही दयनीय है। इसीलिए कुंभकारों की पीढ़ियां इस पेशे को नहीं अपनाना चाहतीं।  

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