काभक्ता
प्रे
अना
अरवल
राभवत
तुल्सीदा
यूरदास
पद
कृष्ण का
(1)
ऊधौ.
तुम
हौ अति बड़भागी
अपरस रहत सनेह तगाते हिन मन अनुरागी।
पुरइनि पात रहत जल भीत ना रस देह न दागी।
ज्यौं जल माह तेल की गागरि, बूंद न ताकौं लागी।
प्रीति-नदी मैं पाउँ न बोरयौ, दृष्टि न रूप परागी
सूरदास' अबला हम भोरी, गुर चाँटी ज्यौं पागी।। me Kim said alankar hai
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Your answer. Mate
Open and laugh ur heart out Hope this helps
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