कुंभन दास कौन थे तथा उनका जूता कैसे फट गया
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प्रेमचंद के फटे जूते के संदर्भ में कुंभनदास के प्रसंग का उल्लेख किया गया है। प्रेमचंद रूढ़िवादी परम्पराओं को ठोकर मारते थे इसलिए उनके जूते फट गए, परन्तु समाज नहीं बदला। ... चित्र हमारे सामने प्रस्तुत किया है, उससे प्रेमचन्द के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी ... पैरों में कैनवास के जूते हैं परन्तु फीते बेढंगे हैं तथा एक पाँव के जूते में छेद है ...
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कुम्भनदास
कुम्भनदास कृष्णभक्ति काल के एक कवि थे. वो बादशाह अकबर के दरबार में आमंत्रित किये गए थे. उनका मानना था कि एक कवि का राजा के दरबार में क्या काम है. वहाँ उनके पाँव के जुटे घिस गए अर्थात उन्हें थकान होगयी। इस चक्कर में वो हरिनाम अर्थात कृष्णभक्ति भी भूल गए. जूता बादशाह अकबर के दरबार में आते जाते घिस जाता है.
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