Hindi, asked by shoibahmads12, 3 months ago

कुंभनदास कौन थे? उन्हें पछतावा क्यों हुआ? प्रेमचंद के फटे जूते पाठ के आधार पर बताइए।​

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Answered by bhatiamona
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कुंभन दास एक कृष्ण भक्त कवि थे। ‘प्रेमचंद के फटे जूते’ पाठ में बताया गया है कि एक बार सम्राट अकबर ने उन्हें फतेहपुर सीकरी बुलाकर पुरस्कार दिया तो कुंभनदास को पछतावा हुआ कि उन्होंने पुरुस्कार क्यों स्वीकार किया। पुरुस्कार लेने के लिए आने जाने में उनके जूते घिस गये और वह भगवान का नाम लेना भूल गये। तब उन्होंने इस पद की रचना की थी...

संतन को कहा सीकरी सों काम?

आवत जात पनहियाँ टूटी, बिसरि गयो हरि नाम।।

इसका भावार्थ है कि कवि कहते हैं कि संतों को भला सीकरी यानि राजधानी से क्या काम है। वहाँ पुरुस्कार के लालच में आने-जाने में चप्पलें घिस गयीं। इस चक्कर में मैं हरि यानि भगवान का नाम लेना भूल गया। इसलिये उन्हें पुरुस्कार स्वीकारने का पछतावा हुआ।

लेखक ने पाठ में प्रेमचंद को कुंभनदास की ही भाँति बताया गया है, प्रेमचंद रूढिवादी परंपराओं को ठोकर मारते थे। इसलिए उनके जूते फट जाए परंतु समाज नहीं बदला।

Answered by franktheruler
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दिए गए प्रश्न का उत्तर निम्नलिखित है

कुम्भनदास कौन थे?

  • कुम्भनदास एक कवि थे।
  • उन्हें मान - सम्मान से कोई लेना देना नहीं था ।
  • वे विरक्त भाव के कवि थे।

कुम्भनदास को पछतावा क्यों हुआ ,फटे जूते पाठ के आधार पर निम्न प्रकार से स्पष्ट किया गया है

  • एक बार बादशाह अकबर ने कुम्भनदास को पुरस्कार दिया व पुरस्कार लेने के लिए फतेहपुर सीकरी बुलाया।
  • पुरस्कार लेने के लिए फतेहपुर सीकरी आने जाने में उनके जूते घिस गए व वे भगवान का नाम लेना भूल गए इसलिए उन्हें पछतावा हुआ कि उन्होंने पुरस्कार स्वीकार ही क्यों किया?

लेखक के अनुसार प्रेमचन्दजी का व्यक्तित्व

  • प्रेमचंद जी भी कुम्भनदास जी की तरह थे उन्हें आडंबर व दिखावा बिल्कुल पसंद नहीं था। उन्होंने फटे हुए जूते में ही तस्वीर खिंचवाई, पैर की उंगलियों को झूठ के आवरण से नहीं ढका।
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