कंचे जब जार से निकलकर अपपू के मन की कलपन में समा जाते हैं तब क्या होता है
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कंचे जब जार से निकलकर अप्पू के मन की कल्पना में समा जाते हैं, तब क्या होता है? उत्तर:- कंचे जब जार से निकलकर अप्पू के मन की कल्पना में समा जाते हैं तो वह उनकी ओर पूरी तरह से सम्मोहित हो जाता है। उसे लगता है की जैसे कंचों का जार बड़ा होकर आसमान-सा बड़ा हो गया और वह उसके भीतर चला गया
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कंचे जब जार से निकलकर अपपू के मन की कलपन में समा जाते हैं तब
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तो वह उनकी ओर पुरी तरह से सम्मोहीत हो जाता हैं | तो उसे लागता हैं जैसे कंचो का जार बडा होकर आसमान-सा बडा हो गया और वह उसके भीतर चला गया |
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