कूच सीसा में अंदर से बाहर देखने पर दिखाई देता है लेकिन बाहर से अंदर देखने पर दिखाई नही देता ऐसा क्यों
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ग्रेजी : Lead, संकेत : Pb लैटिन शब्द प्लंबम / Plumbum से) एक धातु एवं तत्त्व है। काटने पर यह नीलिमा लिए सफ़ेद होता है, लेकिन हवा का स्पर्श होने पर स्लेटी हो जाता है। इसे इमारतें बनाने, विद्युत कोषों, बंदूक की गोलियाँ और वजन बनाने में प्रयुक्त किया जाता है। यह सोल्डर में भी मौजूद होता है। यह सबसे घना स्थिर तत्त्व है।
यह एक पोस्ट-ट्रांज़िशन धातु है। इसका परमाणु क्रमांक ८२, परमाणु भार २०७.२१, घनत्व ११.३६, गलनांक ३,२७.४ डिग्री सें., क्वथनांक १६२०डिग्री से. है। इसके चार स्थायी समस्थानिक, द्रव्यमान २०४, २०६, २०७ और २०८ और चार रेडियो ऐक्टिव समस्थानिक, द्रव्यमान २०९, २१०, २११ और २१४ ज्ञात है। आवर्त सारणी के चतुर्थ समूह के 'ख' वर्ग का यह अंतिम सदस्य है। इस समूह के तत्वों में यह सबसे अधिक भारी और धात्विक गुणवाला है। इसकी संरचना में पूछद (shell) और एक बाह्य छेद (shell) है। बाह्य छेद में इलेक्ट्रान होते हैं जिनमें दो को यह बड़ी सरलता से छोड़ देता है। इस कारण इसके द्विसंयोजक लवण अधिक स्थायी होते हैं। चतुःसंयोजक लवण कम स्थायी होते हैं और उनकी संख्या भी कम है।
यह पीटने से फैल सकता है और तार रूप में भी हो सकता है, पर कुछ कठिनता से। इसका रंग भी जल्दी बदला जा सकता है। इसकी चद्दरें, नलियाँ और बंदूक की गोलियाँ आदि बनती हैं। सीसा दूसरी धातुओं के साथ बहुत जल्दी मिल जाता और कई प्रकार की मिश्र धातुएँ बनाने में काम आता है। छापे के टाइप की धातु इसी के योग से बनती है। आयुर्वेद में सीसा सप्त धातुओं में है और अन्य धातुओं के समान यह भी रसौषध के रूप में व्यवहृत होता है। इसका भस्म कई रोगों में दिया जाता है। वैद्यक में सीसा आयु, वीर्य और कांति को बढ़ानेवाला, मेहनाशक, उष्ण तथा कफ को दूर करनेवाला माना जाता है।
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ग्रेजी : Lead, संकेत : Pb लैटिन शब्द प्लंबम / Plumbum से) एक धातु एवं तत्त्व है। काटने पर यह नीलिमा लिए सफ़ेद होता है, लेकिन हवा का स्पर्श होने पर स्लेटी हो जाता है। इसे इमारतें बनाने, विद्युत कोषों, बंदूक की गोलियाँ और वजन बनाने में प्रयुक्त किया जाता है। यह सोल्डर में भी मौजूद होता है। यह सबसे घना स्थिर तत्त्व है।
यह एक पोस्ट-ट्रांज़िशन धातु है। इसका परमाणु क्रमांक ८२, परमाणु भार २०७.२१, घनत्व ११.३६, गलनांक ३,२७.४ डिग्री सें., क्वथनांक १६२०डिग्री से. है। इसके चार स्थायी समस्थानिक, द्रव्यमान २०४, २०६, २०७ और २०८ और चार रेडियो ऐक्टिव समस्थानिक, द्रव्यमान २०९, २१०, २११ और २१४ ज्ञात है। आवर्त सारणी के चतुर्थ समूह के 'ख' वर्ग का यह अंतिम सदस्य है। इस समूह के तत्वों में यह सबसे अधिक भारी और धात्विक गुणवाला है। इसकी संरचना में पूछद (shell) और एक बाह्य छेद (shell) है। बाह्य छेद में इलेक्ट्रान होते हैं जिनमें दो को यह बड़ी सरलता से छोड़ देता है। इस कारण इसके द्विसंयोजक लवण अधिक स्थायी होते हैं। चतुःसंयोजक लवण कम स्थायी होते हैं और उनकी संख्या भी कम है।
यह पीटने से फैल सकता है और तार रूप में भी हो सकता है, पर कुछ कठिनता से। इसका रंग भी जल्दी बदला जा सकता है। इसकी चद्दरें, नलियाँ और बंदूक की गोलियाँ आदि बनती हैं। सीसा दूसरी धातुओं के साथ बहुत जल्दी मिल जाता और कई प्रकार की मिश्र धातुएँ बनाने में काम आता है। छापे के टाइप की धातु इसी के योग से बनती है। आयुर्वेद में सीसा सप्त धातुओं में है और अन्य धातुओं के समान यह भी रसौषध के रूप में व्यवहृत होता है। इसका भस्म कई रोगों में दिया जाता है। वैद्यक में सीसा आयु, वीर्य और कांति को बढ़ानेवाला, मेहनाशक, उष्ण तथा कफ को दूर करनेवाला माना जाता है।