कुचला की पशु चिकित्सा में दो उपयोग
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इसकी जड़ के छाल, फल, पत्ते, लकड़ी और बीज औषधीय रूप से उपयोग किए जाते हैं।
इसके फलों का उपयोग ल्यूकोडर्मा, 'वात' और 'कफा' रोगों, रक्त के रोगों, खून की कमी, बवासीर, पीलिया और मूत्राशय की जलन को ठीक करने के लिए किया जाता है।
यूनानी प्रणाली में, इनका उपयोग जोड़ों, लम्बेगो (पीठ और कमर मे तनाव और गठिया का दर्द), पाइल्स और लकवा के दर्द और कमजोरी को ठीक करने के लिए किया जाता है।
इसकी जड़ की छाल और चूने के रस से बनाई गई गोलियां हैजा में प्रभावकारी होती हैं ।
इसकी पत्तियों का पेस्ट अल्सर और कीड़ों से भरे घावों पर लगाया जाता है।
इसकी लकड़ी का उपयोग अपच संबंधी कष्ट के निवारण में किया जाता है।
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