केचन पञ्च ठहन्िीवयक्ययनयं संस्कृतभयषयययम्अनुवयिं कुरुत।
1 वे सब घर गए थे।
2 तुम िोनों ियनय ियओगे।
3 हम सब गीतय पढेंगे।
4 िडके िेि के मैियन में िेि रहे थे।
5 मैंपुस्तक पढूूँगी।
6 छयत्र पवद्यिय जय रहे हैं।
7 रमय हयथ से लििेगी।
8 रयधय ियनय बनय रही थी।
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