कीचड़ की विशेषताओं का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए। Path kechad ka Kavya class 9 sparsh
Answers
Answered by
46
प्रस्तुत लेख 'कीचड़ का काव्य' में लेखक ने कीचड़ का महिमामंडन किया है। उन्होंने बताया है की कोई भी कवि या लेखक अपने कृतियों में कीचड़ का वर्णन नही करते हैं, जबकि लेखक को कीचड़ में कम सौंदर्य नजर नही आता। कीचड़ का रंग बहुत व्यक्तियों को पसंद आता है जैसे पुस्तक के गत्तों पर, घरों की दीवालों पर, मिटटी के बर्तनो के लिए तथा फोटो लेते समय।
कीचड के सौंदर्य का वर्णन करते हुए लेखक ने कहा है की जब ये नदी के किनारे सुख कर टूट जाते हैं, उनमे दरारे पड़ जाती हैं तब वे सुखाये खोपड़े जैसे दिखाई पड़ते हैं। जब उसपर छोटे-बड़े पक्षी के पदचिन्ह अंकित हो जाते हैं तो हमें उस रास्ते कारवां ले जाने की इच्छा होती है। फिर जब कीचड़ ज्यादा सुखकर जमीन ठोस हो जाती है तथा गाय, भैंस, बैल, बकरे आदि के पदचिन्ह अंकित हो जाते हैं है जिसकी शोभा कुछ और ही है। जब दो पांडे अपने सींगो द्वारा कीचड़ को रौंदकर आपस में लड़ते हैं तो उनके अंकित चिन्ह महिषकुल के युद्ध का वर्णन करते हैं।
अगर हमें कीचड़ के विशाल रूप को देखना है तो गंगा किनारे या सिंधु के किनारे जाना चाहये या फिर सीधे खम्भात पहुंचना चाहिए जहाँ हमारी नजर जहाँ तक जायेगी वहां सर्वत्र कीचड़ ही मिलेगा। लेखक के अनुसार अगर मनुष्य को ये याद रहे की उनका अन्न कीचड़ की ही दें है तो वह इसका तिरस्कार न करे। हमारे कवि मल के द्वारा उत्पन्न शब्द का उपयोग शान से करते हैं परन्तु मल को स्थान नही देते। इस विषय पर चर्चा कवियों से चर्चा न करना ही उत्तम है।
कीचड के सौंदर्य का वर्णन करते हुए लेखक ने कहा है की जब ये नदी के किनारे सुख कर टूट जाते हैं, उनमे दरारे पड़ जाती हैं तब वे सुखाये खोपड़े जैसे दिखाई पड़ते हैं। जब उसपर छोटे-बड़े पक्षी के पदचिन्ह अंकित हो जाते हैं तो हमें उस रास्ते कारवां ले जाने की इच्छा होती है। फिर जब कीचड़ ज्यादा सुखकर जमीन ठोस हो जाती है तथा गाय, भैंस, बैल, बकरे आदि के पदचिन्ह अंकित हो जाते हैं है जिसकी शोभा कुछ और ही है। जब दो पांडे अपने सींगो द्वारा कीचड़ को रौंदकर आपस में लड़ते हैं तो उनके अंकित चिन्ह महिषकुल के युद्ध का वर्णन करते हैं।
अगर हमें कीचड़ के विशाल रूप को देखना है तो गंगा किनारे या सिंधु के किनारे जाना चाहये या फिर सीधे खम्भात पहुंचना चाहिए जहाँ हमारी नजर जहाँ तक जायेगी वहां सर्वत्र कीचड़ ही मिलेगा। लेखक के अनुसार अगर मनुष्य को ये याद रहे की उनका अन्न कीचड़ की ही दें है तो वह इसका तिरस्कार न करे। हमारे कवि मल के द्वारा उत्पन्न शब्द का उपयोग शान से करते हैं परन्तु मल को स्थान नही देते। इस विषय पर चर्चा कवियों से चर्चा न करना ही उत्तम है।
Answered by
8
गंगा के किनारे या सिंधु के किनारे और खम्भात में महि नदी के मुख के आगे जहां तक नजर पहुंचे वहां तक सर्वत्र सनातन कीचड़ देखने मिलेगा जिसमें हाथ डूब जाने वाली बात कहना अल्पोक्ति के समान होगा। यह पहाड़ लुप्त कर देने वाले कीचड़ की विशेषता होती है।
Similar questions
Chemistry,
6 months ago
CBSE BOARD X,
6 months ago
Math,
1 year ago
Social Sciences,
1 year ago
Science,
1 year ago