कुछ काम करो ,कुछ काम करो ,
जग में रहकर निज नाम करो |
यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो ,
समझो जिसमें यह व्यर्थ न हो |
कुछ तो उपयुक्त करो तन को,
नर हो , न निराश करो मन को |
संभलो कि सुयोग न चला जाए ,
कब व्यर्थ हुआ सदुपाय भला ?
समझो जग को न निरा सपना ,
पथ आप प्रशस्त करो अपना |
अखिलेश्वर हैं अवलंबन को,
नर हो , न निराश करो मन को |
क)
कवि मनुष्य से क्या करने के लिए कह रहे हैं ? इस जन्म को व्यर्थ न करने के लिए क्या करना चाहिए ?
ख)
‘पथ’ शब्द का क्या अर्थ है ? कवि ने कविता में क्या न चले जाने की बात कही है ?
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nice poetry you are a great writer
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