कुछ कहने से पहले जरा सोचिए,
खयालों को खुद तौलना सीख लीजे।
तू-तड़ाक हो या फिर हो तू-तू में-में,
अपने आपको टोकना सीख लीजे। इन पंक्तियों का अर्थ लिखिए
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कु छ भी कहने से पहले, या मन में कोई ख्याल आने से पहले सोचना चाहिए कि सामने वाले को तो कोई तकलीफ़ नहीं होगी। हर बार यह ज़रूरी नहीं कि तू-तड़ाक से ही बात की जाए। दूसरों की कमी निकाल लेने से पहले खुद को देखना चाहिए कि कहीं आप मै ही तो कोई कमी नहीं है।
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