Hindi, asked by mohanwadhwani438, 9 days ago

कुछ लोगों के अनुसार मनुष्य का सर्वश्रेष्ठ लक्ष्य धन-संग्रह है। नीतिशास्त्र में धन संपत्ति आदि को ही अर्थ कहा गया है। बहुत से ग्रंथो में अर्थ की प्रशंसा की गई है। क्योंकि सभी गुण अर्थ अर्थात धन से ही अर्जित ही रहते है | जिसके पास धन है। वहीं । सुखी रह सकता है। विषय भोगो को संग्रहित कर सकता है तथा दान-धर्म भी निभा सकता है। वर्तमान युग में धन का सबसे अधिक महत्व है |आज हमारी आवश्यकताएं बहुत बढ़ गई है इसीलिए उनको पूरा करने के लिए धन संग्रह की आवश्यकता पड़ती है। धन की प्राप्ति के लिए भी अत्यधिक प्रयत्न करना पड़ता है। और व्यक्ति सारा जीवन इसी में लगा रहता है। कुछ लोग तो धनोपार्जन को हिजीवान का उद्देश्य बना कर उचित अनुचित साधनों का भेद भी भुला बैठते है । संसार के इतिहास में धन की लिप्ता के कारण जितनी हिंसाए, अनर्थ, और अत्याचार हुए है उतने और किसी दूसरे कारण से नहीं हुए है। अतः धनको जीवन का सर्वोत्तम लक्ष्य नहीं माना जा सकता क्योंकि धन अपने आप में मूल्यवान वस्तु नहीं है। धन को संचित करने के लिए छल-कपट आदि का सहारा लेना पड़ता है, जिसके कारण जीवन में अशांति और चेहरे में पर विकृति बनी रहती है। इतना ही नहीं इसके संग्रह की प्रवृति के पनपने के कारण सदा चोर, डाकू, और दुश्मनों का भय बना रहता है | धन का अपहरण या नाश होने पर कष्ट होता है | इस प्रकार अशांति,संघर्ष,दुष्ट दुष्प्रवृती, दुख भय एवं पाप आदि का मूल होने के कारण धन को परम लक्ष्य नहीं माना जा सकता।​

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Answered by inderbatham733
1

Explanation:

गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए

Answered by narender490
0

Answer:

1st answer is i give you my number call me i tell you answer

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