कुछ दिन बाि एक सुुंिर नवयुवक साधुआगरे के बाजारों में गाता हुआ जा रहा था ।
लोगों ने समझा, इसकी भी मौत आ गई है । वे उठे कक उसे नगर की रीतत की सूचना िे िें,
मगर तनकट पहुुँचने से पहले ही मुग्ध होकर अपने-आपको भूल गए और ककसी को साहस न
हुआ कक उससे कुछ कहे । िम-के-िम में यह समाचार नगर में जुंगल की आग के समान
फै ल गया कक एक साधुरागी आया है, जो बाजारों में गा रहा है । ससपादहयों ने हथकड़ियाुँ
सुँभालीुं और पकिने के सलए साधुकी ओर िौिे परुंतुपास आना था कक रुंग पलट गया ।
साधुके मुखमुंडल से तेज की ककरणें फूट रही थीुं, जजनमें जािूथा, मोदहनी थी और मुग्ध
करने की शजतत थी । ससपादहयों को न अपनी सुध रही, न हथकड़ियों की, न अपने बल की,
न अपने कततव्य की, न बािशाह की, न बािशाह के हुतम की । वे आश्चयत से उसके मुख की
ओर िेखने लगे, जहाुँसरस्वती का वास था और जहाुँसे सुंगीत की मधुर ध्वतन की धारा
बह रही थी । साधुमस्त था, सुनने वाले मस्त थे । जमीन-आसमान मस्त थे । गाते-गाते
साधुधीरे-धीरे चलता जाता था और श्रोताओुं का समूह भी धीरे-धीरे चलता जाता था । ऐसा
मालूम होता था, जैसे एक समुद्र है जजसे नवयुवक साधुआवाजों की जुंजीरों से खीुंच रहा है
और सुंके त से अपने साथ-साथ आने की प्रेरणा कर रहा है ।
मुग्ध जनसमुिाय चलता गया, चलता गया, चलता गया । पता नहीुं ककधर को? पता
नहीुं ककतनी िेर? एकाएक गाना बुंि हो गया । जािूका प्रभाव टूटा तो लोगों ने िेखा कक वे
तानसेन के महल के सामने खिे हैं। उन्होंने िखु और पश्चात्ताप से हाथ मले और सोचा-
यह हम कहाुँआ गए? साधुअज्ञान में ही मौत के द्वार पर आ पहुुँचा था । भोली-भाली
चचड़िया अपने-आप अजगर के मुुँह में आ फुँ सी थी और अजगर के दिल में जरा भी िया न
थी ।
२) गद्यांश में प्रयुक्ि शब्द युग्म खोजकर लिखिए १____२_____३____४____
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sorry I din,t know
Explanation:
so please for give me
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