।। कुंडलिया ।।
बिना विचारे जो करे, सो पाछै पछताय।
काम बिगारे आपनो, जग में होत हँसाय।।
जग में होत हँसाय, चित्त में चैन न पावै।
खान-पान सम्मान, राग-रंग मनहि न भावै।।
कह गिरधर कविराय, दु:ख कुछ टरत न टारे।
खटकत है जिय माहि, कियो जो बिना विचारे।।
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इसका भावार्थ लिखिए -
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Explanation:
बिना विचारे जो करे सो पाछे पछताय इस कुंडलियां का भावार्थ यह है कि जो इंसान बिना विचार करके काम करता है तो उसे बाद में पछताना पड़ता है उसका काम तो बिगड़ता ही है साथ में जगत ने हंसाय मतलब वह हंसी का पात्र बनता है और उसके मन को शांति नहीं मिलती है खान-पान सम्मान कुछ भी अच्छा नहीं लगता है और गिरधर कविराय कहते हैं उसका दुख टालने से भी नहीं टलता है और उसके मन में बात खटकती रहती है कि उसने पहले सोच विचार कर काम क्यों नहीं किया mark me as brain list
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